tag:blogger.com,1999:blog-3778570096826367144.post6739978849844977825..comments2024-03-29T11:12:25.046+05:30Comments on Ground Reality: The war against hunger (in Hindi)Devinder Sharmahttp://www.blogger.com/profile/05867902048509662981noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3778570096826367144.post-62568253082453600742010-04-11T13:30:43.477+05:302010-04-11T13:30:43.477+05:30आदरणीय देवेंद्र जी आपने भूख के खिलाफ जंग के जो सुझ...आदरणीय देवेंद्र जी आपने भूख के खिलाफ जंग के जो सुझाव प्रस्तुत किया है उसकी सफलता संदिग्ध है । यह ठीक है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन करके जनभागीदारी बढ़ाई जाए तो यह अच्छे परिणाम देगी । दूसरे गरीबों की वास्तविक संख्या का निर्धारण भी होना चाहिए । क्षेत्रीय खाद्यान बैंक, विकेंद्रित सार्वजनिक वितरण प्रणाली भी इस दिशा में मील के पत्थर साबित होंगे । आपने ब्राजील की भांति शून्य भुखमरी का लक्ष्य निर्धारित करने का सुझाव दिया लेकिन इस बात का जिक्र नहीं किया किस प्रकार यह योजना भ्रष्टाचार से घिर चुकी है । आपने वियतनाम का उदाहरण नहीं दिया जिसने छोटे किसानों को सबल बनाकर गरीबी घटाने में शानदार सफलता हासिल की । आप सुझावे देते हैं कि उद्योग जगत को दी जाने वाली छूट में से तीन लाख करोड़ रूपये को भूखी जनता को भोजन व पेयजल उपलब्ध कराने तथा सीवर लाइन बिछाने में खर्च किया जाए । लेकिन आपने एक बार भी यह नहीं बताया कि यह पानी आएगा कहां से । इसके लिए वृक्षारोपण, फसल चक्र, जल संरक्षण के परंपरागत उपायों की अनदेखी कर गए । <br /> दअरलस भूख के खिलाफ निर्णायक जंग तभी लड़ी व जीती जाएगी जब कृषि एवं ग्रामीण जीवन का विविधीकरण किया जाए । सरकार देश के लघु व सीमांत किसानों को सुविधा दे । इससे खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा भी हासिल हो जाएगी । न्यूजीलैंड ने डेयरी क्षेत्र के बल पर गरीबी, बेरोजगारी दूर करने में सफलता अर्जित की । भारत में अलवर क्षेत्र में जल संरक्षण के प्रयासों से डेयरी क्षेत्र फला-फूला । दो दशक पहले जिस अलवर क्षेत्र के लोग दिल्ली व अहमदाबाद में फैक्टरी मजदूर हुआ करते थे वहीं के लोग अब सरस ब्रांड के कर्ता-धर्ता हैं । इन्हें कितने करोड़ का अनुदान मिला था । अत: पीडीएस से गेहूं, चावल बांटने के साथ-साथ गरीबी व भुखमरी मिटाने के स्थाई उपाय भी करने होंगे । पशुपालन, गोबर गैस, वृक्षारोपण, लघु व कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन, प्लास्टिक के दोना-कुल्हड पर प्रतिबंध जैसे उपाय इस दिशा में मील के पत्थर साबित होंगे । <br /><br />आपका अनुज<br />रमेश दुबेRamesh Dubeyhttps://www.blogger.com/profile/10812154814586308125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3778570096826367144.post-29260195546299208202010-04-10T22:23:10.984+05:302010-04-10T22:23:10.984+05:30आदरणीय देवेंद्र जी आपने भूख के खिलाफ जंग के जो सुझ...आदरणीय देवेंद्र जी आपने भूख के खिलाफ जंग के जो सुझाव प्रस्तुत किया है उसकी सफलता संदिग्ध है । यह ठीक है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन करके जनभागीदारी बढ़ाई जाए तो यह अच्छे परिणाम देगी । दूसरे गरीबों की वास्तविक संख्या का निर्धारण भी होना चाहिए । क्षेत्रीय खाद्यान बैंक, विकेंद्रित सार्वजनिक वितरण प्रणाली भी इस दिशा में मील के पत्थर साबित होंगे । आपने ब्राजील की भांति शून्य भुखमरी का लक्ष्य निर्धारित करने का सुझाव दिया लेकिन इस बात का जिक्र नहीं किया किस प्रकार यह योजना भ्रष्टाचार से घिर चुकी है । आपने वियतनाम का उदाहरण नहीं दिया जिसने छोटे किसानों को सबल बनाकर गरीबी घटाने में शानदार सफलता हासिल की । आप सुझावे देते हैं कि उद्योग जगत को दी जाने वाली छूट में से तीन लाख करोड़ रूपये को भूखी जनता को भोजन व पेयजल उपलब्ध कराने तथा सीवर लाइन बिछाने में खर्च किया जाए । लेकिन आपने एक बार भी यह नहीं बताया कि यह पानी आएगा कहां से । इसके लिए वृक्षारोपण, फसल चक्र, जल संरक्षण के परंपरागत उपायों की अनदेखी कर गए । <br /> दअरलस भूख के खिलाफ निर्णायक जंग तभी लड़ी व जीती जाएगी जब कृषि एवं ग्रामीण जीवन का विविधीकरण किया जाए । सरकार देश के लघु व सीमांत किसानों को सुविधा दे । इससे खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा भी हासिल हो जाएगी । न्यूजीलैंड ने डेयरी क्षेत्र के बल पर गरीबी, बेरोजगारी दूर करने में सफलता अर्जित की । भारत में अलवर क्षेत्र में जल संरक्षण के प्रयासों से डेयरी क्षेत्र फला-फूला । दो दशक पहले जिस अलवर क्षेत्र के लोग दिल्ली व अहमदाबाद में फैक्टरी मजदूर हुआ करते थे वहीं के लोग अब सरस ब्रांड के कर्ता-धर्ता हैं । इन्हें कितने करोड़ का अनुदान मिला था । अत: पीडीएस से गेहूं, चावल बांटने के साथ-साथ गरीबी व भुखमरी मिटाने के स्थाई उपाय भी करने होंगे । पशुपालन, गोबर गैस, वृक्षारोपण, लघु व कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन, प्लास्टिक के दोना-कुल्हड पर प्रतिबंध जैसे उपाय इस दिशा में मील के पत्थर साबित होंगे । <br /><br />आपका अनुज<br />रमेश दुबेRamesh Dubeyhttps://www.blogger.com/profile/10812154814586308125noreply@blogger.com